प्रेम और सौंदर्य के कवि प्रसाद पूछते हैं-
तुम कनक किरन के अंतराल में
लुक छिप कर चलते हो क्यों ?
हे लाज भरे सौंदर्य बता दो
मौन बने रहते हो क्यों ?
डियर प्रसाद….
नायिका काफ़्का कि पाठक है और काफ़्का कहते है -
“एकांत स्वयं को जानने का एक ज़रिया है।”
आगे एक कविता में काफ़्का फिर लिखते हैं
“अपनी मेज़ पर बैठे रहो और सुनो
बल्कि सुनो भी मत
बस प्रतीक्षारत रहो
शांत और अकेले रहो
कायनात खुद बेपर्दा होकर
अपने को तुम्हारे सामने
पेश कर देगी।”
- संजीव कुमार