उज्जैन के राजा विक्रमादित्य भील थे।
विक्रमादित्य के पिता का नाम गर्द भिल्ल था। सिंहासन बत्तीसी और बैताल पचीसी की कथाएँ इनसे जुड़ी हैं।
ईसा पूर्व की प्रथम सदी में उज्जैन पर गर्द भिल्ल का शासन था। जब गर्द भिल्ल शकों से युद्ध करते मारे गए, तब मालव गण पर गर्द भिल्लवंशीय विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर फिर से शासन स्थापित किया।
कैलाशचंद्र भाटिया ने लिखा है कि गर्द भिल्ल वस्तुतः भिल्ल अर्थात भील थे। हजारीप्रसाद द्विवेदी को साक्षी बनाकर उन्होंने बताया है कि गधैया सिक्के इन्हीं गर्द भिल्लों ने चलाए थे।
चौंकानेवाला तथ्य यह है कि राजा विक्रमादित्य भील थे, जिनके साथ अनेक चमत्कारिक गाथाएँ जुड़ी हुई हैं।
भारतीय इतिहास पर विक्रमादित्य के प्रभाव को इस बात से आँका जा सकता है कि 14 बड़े - बड़े राजाओं ने गर्व के साथ विक्रमादित्य की उपाधि धारण की।
( विक्रमादित्य की एक आधुनिक मूर्ति )
-Rajendra Prasad Singh
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