हमारे पुरखों ने बताया है कि हमें किसी बुरे इंसान की अच्छाइयों से भी सीखना चाहिए । रावण बुराई का प्रतीक होते हुए भी क्यों विचारणीय है ?
रावण एक महान राजनीतिज्ञ, योद्धा, वास्तु विशेषज्ञ, बहु-विद्याओं का जानकार था। वो इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह की विद्याएं जानता था। 9 ग्रह सिंहासन में जड़े थे। उसके पास पुष्पक विमान था, जो अन्य किसी के पास नहीं था। वह शिव तांडव स्त्रोत और अनेक ग्रंथों का रचियता महा शिवभक्त था ।
रावण जिस समय मरणासन्न अवस्था में था, तब भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा कि इस संसार का सबसे बड़ा नीति, राजनीति और शक्ति का महान पंडित विदा ले रहा है, तुम उसके पास जाओ । उससे थोड़ा ज्ञान लो । उसके पास वो ज्ञान और शिक्षाएं हैं जो कोई नहीं दे सकता ।
प्रभु श्री राम भी जिनका आदर सत्कार करते हैं वो कोई सामान्य राक्षस भर नहीं है। और ये सिनेमा वाले उस महापराक्रमी का ऐसा भोंडा चित्रण कर रहे हैं? बात सिर्फ सिनेमा के विरोध की नहीं है। इसके पतन के लिए तो उनका चोरी किया कंटेंट और तीसरे दर्जे का अभिनय ही काफी है ।
पर क्या मनोरंजन के नाम पर किन्हीं धार्मिक चरित्रों से छेड़छाड़ करना सही है ?
क्या वे अन्य संप्रदायों पर भी ऐसा एक्सपेरिमेंट करने का साहस रखते हैं ?
ज़रा सोचिए कि बालों में जेल से स्पाइक बनाए, छपरी जैसे साइड कट लगवाए, बिना तिलक और त्रिपुंड के अब्दाली सी वेशभूषा वाले लंकेश, पुष्पक विमान की जगह चमगादड़ पर उड़ते लंकेश (उसी पुष्पक पर श्रीराम अयोध्या आए थे) और छिली मूंछो बढ़ी बकरा स्टाइल दाढ़ी वाले हनुमान जी को देख कर क्या धारणाएं बनाएंगे आने वाली पीढ़ी के बालक ?
हमारी संस्कृति में नायक के साथ खलनायक की भी एक गरिमा होती है । कृपया उसे बनाए रखें ।
दशहरा की शुभकामनाएं मित्रों ।
जय श्री राम ❤️🙏
#HappyDussehra
63
66
0
0